मन का गुलाम

यह भावनात्मकउपद्रव है जो हमें अंदर से ही जकड़ लेता है। हम खुद को बंधा हुआसोचते हैं जैसे कि एक पक्षी जो अपनीखुद की उड़ान नहीं कर सकता है

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